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फोरेंसिक विज्ञान क्राइम इंवेस्टीगेशन की तीसरी आंखः जान आर. वानडरकाक
संस्कृति यूनिवर्सिटीः इंटरनेशनल सेमिनार में विशेषज्ञों के विचार
मथुरा। फोरेंसिक विज्ञान क्राइम इंवेस्टीगेशन की तीसरी आंख है। आज भारत ही नहीं दुनिया भर में फोरेंसिक विशेषज्ञों की जरूरत है। क्राइम इंवेस्टीगेशन में फोरेंसिक विज्ञान का विशेष महत्व है लेकिन किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले हमें हर पहलू पर गम्भीरता से विचार मंथन कर लेना चाहिए। जल्दबाजी में की गई कोई भी जांच न्याय प्रक्रिया को बाधित कर सकती है। यह विचार सोमवार को संस्कृति यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित इंटरनेशनल सेमिनार में अमेरिका के इंडियाना स्टेट पुलिस लैब के प्रमुख जान आर. वानडरकाक ने देश भर से आए प्रतिनिधियों और छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
सेमिनार का शुभारम्भ मुख्य अतिथि जान आर. वानडरकाक, ओ.एस.डी. मीनाक्षी शर्मा, कुलपति डा. राणा सिंह, डीन स्टूडेंट वेलफेयर डा. ओ.पी. जसूजा, डा. एस.के. जैन, डा. बी.बी. अरोरा, डा. महेन्द्र सिंह आदि ने विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पार्चन और दीप प्रज्वलित कर किया। कुलपति डा. राणा सिंह ने स्वागत भाषण दिया तथा इस सेमिनार के संयोजक एवं विभागाध्यक्ष फोरेंसिक साइंस डा. ओ.पी. जसूजा ने सेमिनार की थीम पर प्रकाश डाला। इस इंटरनेशनल सेमिनार में एमिटी यूनिवर्सिटी मानेसर, जी.डी. गोयनका यूनिवर्सिटी गुड़गांव, बी.आर. अम्बेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ, सी.बी.आई. फोरेंसिक लैब दिल्ली, रीजनल फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री, भरतपुर आदि के लगभग ढाई सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
सेमिनार के प्रथम सत्र में फोरेंसिक अन्वेषण तकनीक के वर्तमान परिदृश्य तथा नए रुझानों पर प्रकाश डालते हुए जान आर. वानडरकाक ने कहा कि फोरेंसिक अन्वेषण तकनीक को भविष्योन्मुखी बनाना समय की मांग है। इस अवसर पर दिल्ली के डायरेक्टर कम चीफ फोरेंसिक साइंटिस्ट डा. एस.के. जैन ने फोरेंसिक अन्वेषण में ध्वनि, फोटोग्राफी एवं वीडियो की जांच के उपयोग में आ रही तकनीकों पर विस्तार से प्रकाश डाला। डा. जैन ने कहा कि विज्ञान से सत्य की खोज का रास्ता प्रशस्त होता है लिहाजा आज तकनीक अपग्रेडेशन के साथ-साथ शोध पर ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है। इस अवसर पर डा. जैन ने भविष्योन्मुखी डिजिटल फोरेंसिक साइंस का भी उल्लेख किया।
सेमिनार के अंतिम सत्र में राजस्थान के आर.एफ.एस.एल. के पूर्व निदेशक डा. वी.बी. अरोरा ने वाइल्ड लाइफ डीएनए फोरेंसिक के रुझानों एवं चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। डा. अरोरा ने कहा कि बढ़ती हुई आपराधिक गतिविधियों के चलते आज फोरेंसिक एक्सपर्ट का महत्व बढ़ गया है। एक फोरेंसिक एक्सपर्ट विज्ञान के सिद्धांतों और नई तकनीकों का उपयोग करते हुए ही क्राइम का इंवेस्टीगेशन करता है। दरअसल, क्राइम को बेनकाब करने के लिए एक्सपर्ट ब्लड, बॉडी फ्लूड, हेयर, फिंगरप्रिंट, फूटप्रिंट, टिशू आदि की मदद लेते हैं। डा. अरोरा ने मधुमिता और अमरमणि त्रिपाठी प्रकरण का जिक्र करते कहा कि मधुमिता के डी.एन.ए. टेस्ट से ही अमरमणि त्रिपाठी को सजा मिल सकी। डा. अरोरा ने कई अन्य उदाहरणों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को क्राइम इंवेस्टीगेशन में डी.एन.ए. और फिंगरप्रिंट के महत्व को समझाया। कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने सभी वक्ताओं सहित देश भर से आए प्रतिनिधियों का आभार माना। इस अवसर पर मुख्य अतिथि जान आर. वानडरकाक ने श्री सचिन गुप्ता और डा. ओ.पी. अहूजा को इंडियाना पुलिस के बैज भेंट किए।
इस अवसर पर रीजनल फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री, भरतपुर के सहायक निदेशक डा. मुकेश शर्मा ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से शिक्षा के क्षेत्र में फोरेंसिक साइंस से स्नातक और स्नातकोत्तर करने वाले छात्र-छात्राओं को वर्तमान में हो रहे फोरेंसिक के क्षेत्र नई तकनीकों तथा वैज्ञानिक पद्धतियों के बारे जानकारी मिलती है। इस तरह का आयोजन उत्तर प्रदेश में पहली बार संस्कृति यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित किया जाना एक सराहनीय प्रयास है। उम्मीद है कि इस इंटरनेशनल सेमिनार से विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को फोरेंसिक साइंस के क्षेत्र में काफी लाभ मिलेगा। कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापिका प्रिया शर्मा ने किया।