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संस्कृति दीपावली में बृज के खान-पान और रंगारंग कार्यक्रमों ने सबको लुभाया

आपसी मेल-मिलाप और संस्कृति के संवाहक हैं मेले-एसडीएम छाता

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में बच्चों की तालियों के बीच कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने फीता काटकर दीपावली मेले का शुभारंभ किया। बुधवार को प्रात: 11 बजे विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं व छाता क्षेत्र के अनेक स्कूल के विद्यार्थी मेला ग्राउंड में पहुंच चुके थे। फीता कटते ही हल्ला करते हुए बच्चे स्टालों पर टूट पड़े। खास बात यह थी मेले में अधिकांश स्टाल विवि के छात्र-छात्राओं द्वारा ही लगाई गई थीं।

दोपहर में पहुंचे एसडीएम छाता डा.नितिन गौड़ ने विवि के कुलाधिपति सचिन गुप्ता के साथ मेले का अवलोकन किया। इस मौके पर उन्होंने छात्र-छात्राओं द्वारा बनाए गए सामान की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि त्यौहारों पर आयोजित होने वाले मेले हमारे आपसी मेल-मिलाप में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते हैं। ऐसे आयोजन हमारी संस्कृति के द्योतक भी हैं और संवाहक भी। ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए। ऐसे आयोजन यदि शैक्षणिक संस्था द्वारा आयोजित किए जाएं तो सोने में सुहागा जैसी स्थिति हो जाती है। संस्कृति विवि के कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने बताया कि हमारा यह पहला प्रयास है। हमारी योजना हर वर्ष ऐसे आयोजन कराने की है जिससे बृज संस्कृति को लोग जानें और उसका अनुसरण कर अपने जीवन को आनंदित करें। हमारे विवि में देश-विदेश से अनेक छात्र-छात्राएं अध्ययन करने आते रहते हैं। हमारा उद्देश्य ऐसे आयोजन कर इन छात्र-छात्राओं के माध्यम से बृज की संस्कृति को प्रचारित और प्रसारित करना भी है। साथ ही आसपास के क्षेत्र में सांस्कृतिक, सामाजिक गतिविधियों की बारंबारता बनाए रखना भी है। उन्होंने सबको दीपावली की शुभकामनाएं भी दीं। विवि की विशेष कार्याधिकारी श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने विवि के समस्त स्टाफ, फैकल्टी, छात्र-छात्राओं को मेले के भव्य आयोजन के लिए बधाई दी। साथ ही विवि की आयोजन समिति के सदस्यों की बेहतर इंतजामातों के लिए सराहना की। इस मौके पर नायब तहसीलदार राखी शर्मा भी मौजूद रहीं।

मेले में लगी स्टालों में सबसे ज्यादा भीड़ चाट की स्टाल पर नजर आई। वहीं दिव्यांग बच्चों द्वारा लगाई गई स्टाल पर उनके द्वारा बनाए गए दिए, पोस्टकार्ड और शुभ-लाभ लिखी झालरें लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी रहीं। मेले की अधिकांश स्टाल पर दीपावली से जुड़े सामानों की बहुतायत में बिक्री हुई। अधिकांश वस्तुएं छात्र-छात्राओं द्वारा स्वनिर्मित थीं। सुंदर रंगों से रंगे दिए, शीतल पेय, पित्जा, बर्गर, आईसक्रीम, फ्रूट चाट, बुढ़िया के बाल, नमकीन, खेलो और इनाम पाओ, हिट द ग्लास बाई बाल जैसे अनेक आकर्षण बच्चों को बांधे रहे। इसके अलावा डिजायनर वस्त्रों की प्रदर्शनी और बिक्री, श्रृंगार के सामान में चूड़ी, मेहंदी, फेस लोशन, बिंदी आदि वस्तुओं की स्टाल भी लगाई गई थीं। गुब्बारे, देसी पनीर, समौसा, मसाला डोसा, ढोकला, मोमोज, दही भल्ला, पेस्ट्री, पैटीज़, राज कचौरी, पाव भाजी, गोल-गप्पे, भेल पूरी, छाछ और मिठाई की स्टाल भी थीं। आयुर्वेदिक दवाईयां, नजरों के चश्मे भी मेले में उपलब्ध थे।

विश्वविद्यालय के मुख्य ग्राउंड पर सांस्कृति कार्यक्रमों के लिए विशाल मंच पर आकर्षक सजावट की गई थी। विवि के छात्र-छात्राओं ने एक के बाद एक पारंपरिक और पाश्चात्य नृत्य और गायन की प्रस्तुतियों से अपनी तैयारियों और प्रतिभा का परिचय दिया। देर रात तक इन कार्यक्रमों का लोगों ने आनंद लिया। सभी स्टालों से बिक्री के साथ बांटे गए कूपनों के आधार पर विजेताओं को पुरुस्कार बांटे गए।

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