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सहयोगात्मक शिक्षा की तरफ ठोस कदम

Concrete Steps to collaborate with industry experts to scale up capability

स्वतंत्र भारत में उच्च शिक्षा का विस्तार व्यापक स्तर पर हुआ है लेकिन हमारी शिक्षा प्रणाली शिक्षा की मूलभूत संकल्पना के साथ आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार नहीं ढल पाई है। उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा मिलने की बजाय अपनी ढपली, अपना राग अलापने से दुनिया में भारतीय शिक्षा प्रणाली को वह दर्जा नहीं मिल सका जोकि उसे मिलना चाहिए। भारत विश्व गुरु रहा है, इस बात को संस्कृति यूनिवर्सिटी ने अपने स्थापना काल से ही न केवल महसूस किया है बल्कि सहयोगात्मक शिक्षा की तरफ ठोस कदम बढ़ाए हैं। समयानुरूप पाठ्यक्रम, शोधकार्य को बढ़ावा, शिक्षा की गुणवत्ता और उसकी स्वायत्तता जैसे चिन्तनीय विषयों पर प्रबंधन ने न केवल गम्भीरता दिखाई बल्कि देश-दुनिया के प्रख्यात शैक्षणिक संस्थानों से सहयोग के लिए हाथ भी मिलाए हैं। संस्कृति यूनिवर्सिटी के सहयोगात्मक शिक्षा की तरफ बढ़ते ठोस कदमों से युवा पीढ़ी को सम्बल मिला है।

उच्च शिक्षा में परस्पर सम्वाद और सहयोग जरूरी है, इस बात को ध्यान में रखते हुए संस्कृति यूनिवर्सिटी ने व्यावसायिक एजेंसियों और विदेशी शिक्षण संस्थानों से अनुबंध किए हैं। हर प्रोफेशनल्स युवा क्रिएटिव और टेक्निकल स्किल्स के जरिए अपने पैरों पर खड़ा हो, इसी मूल उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संस्कृति यूनिवर्सिटी ने आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ करने के साथ-साथ देश-विदेश की प्रख्यात व्यावसायिक एजेंसियों और शिक्षण संस्थानों से सीधे अनुबंध किए हैं। संस्कृति यूनिवर्सिटी में युवाओं के करियर को संवारने के लिए कई सारे ऑप्शंस पर ध्यान दिया जाता है। बात तकनीकी शिक्षा, कृषि शिक्षा की हो या फिर भारतीय चिकित्सा शिक्षा की, यहां हर पहलू पर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। स्मार्ट युवा पीढ़ी तैयार करने की दिशा में अग्रसर संस्कृति यूनिवर्सिटी ने एमएसएमई (भारत सरकार) के सहयोग से अपने यहां सेण्टर आफ एक्सीलेंस को प्रमुखता दी है। छात्र-छात्राओं को इस सेण्टर का लाभ तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ आधुनिकतम कृषि प्रणाली और स्वरोजगार स्थापना में मददगार है।

समय-समय पर शिक्षा में हो रहे बदलाव और तकनीकी पहलुओं से छात्र-छात्राओं को रू-ब-रू कराने के लिए संस्कृति यूनिवर्सिटी ने यूनिवर्सिटी आफ कैम्ब्रिज और मलेशिया की हेल्प यूनिवर्सिटी से अनुबंध किया है। कृषि शिक्षा क्षेत्र में हो रहे क्रांतिकारी बदलावों से छात्रों को अवगत कराने के लिए हाल ही आईसीएआर से करार किया गया है। अब संस्कृति यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं दिल्ली जाकर आईसीएआर की अनुसंधानपरक शिक्षा का लाभ उठा सकेंगे। देश की आर्थिक स्थिति से छात्र-छात्राओं को अपडेट रखने के लिए नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) भी हमारा सहयोगी है। संस्कृति यूनिवर्सिटी में एनआईईएसबीयूडी और रेड हैट एकेडमी के सहयोग से छात्र-छात्राओं की मेधा को कुशाग्र बनाया जा रहा है। संस्कृति यूनिवर्सिटी से स्मार्ट युवा ही नहीं सेवाभावी डाक्टर भी निकलें इसके लिए आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी शिक्षा व्यवस्था को प्रमुखता दी गई है। चिकित्सा शिक्षा में छात्र-छात्राओं को किताबी ज्ञान के साथ-साथ प्रयोगात्मक अनुसंधान का लाभ भी मिले इसके लिए ख्यातिनाम शांति गिरी आश्रम, नयति मेडिसिटी और श्री अरबिन्दो सोसायटी से अनुबंध किए गए हैं। शांति गिरी आश्रम संस्कृति यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर समूचे उत्तर भारत के गांव-गांव में आयुर्वेद चिकित्सा को प्रतिष्ठापित करने को प्रतिबद्ध है।

संस्कृति यूनिवर्सिटी में शिक्षा में प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण बनाने के ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। दरअसल, उत्पादक और उत्पाद की सबसे बड़ी कसौटी उसका उपभोक्ता है। उच्च शिक्षा उत्पाद के उपभोक्ता विद्यार्थी होते हैं, वही उससे लाभान्वित होते हैं। अत: इस कसौटी का उपयोग करने का संकल्प लेना सरकार, समाज, विश्वविद्यालय, महाविद्यालय प्रबन्धन का है। उच्च शिक्षा की दशा कैसे सुधरे इसके लिए संस्कृति यूनिवर्सिटी में युवा पीढ़ी के अन्दर निहित आन्तरिक शक्तियों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाता है। सिर्फ सरकारी प्रयासों से शिक्षा जगत की विसंगतियों को दूर नहीं किया जा सकता, इस बात को महसूस करते हुए ही संस्कृति यूनिवर्सिटी प्रबंधन सहयोगात्मक शिक्षा को प्रमुखता दे रहा है।

उच्च शिक्षा में शोध कार्य की स्थिति कमोबेश समूचे देश में एक जैसी है। वर्तमान जड़वत स्थिति को तोड़ने के लिए ही विश्वविद्यालय प्रबंधन ने शोध कार्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कुछ नये कार्यक्रम प्रारम्भ किये हैं। शोध पत्रों के प्रकाशन का लाभ समाज को मिले इस बात के ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। शोधकार्यों को बढ़ावा देने के लिए कुछ विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों से तालमेल बिठाया गया है ताकि उस विशेष विषय में शोध कार्य करने वाले शोधार्थी उस विश्वविद्यालय या शोध संस्थान पर रहकर अपना शोधकार्य कर सकें।

सेण्टर आफ एक्सीलेंस (एमएसएमई)

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारत सरकार का उपक्रम है। एमएसएमई के सहयोग से संस्कृति यूनिवर्सिटी में खुले सेण्टर आफ एक्सीलेंस का लाभ तकनीकी शिक्षा के छात्र-छात्राओं को स्मार्ट इंजीनियर बनने में मददगार है। यह सेण्टर आधुनिकतम तकनीकी शिक्षा ग्रहण करने वाली युवा पीढ़ी के अनुसंधान, नवाचार और आजीवन सीखने की लालसा को बनाए रखने में भी कारगर साबित हो रहा है। इस सेण्टर से युवा पीढ़ी रोबोटिक शिक्षा ग्रहण करने के साथ अपने अनुसंधान और रचनात्मकता को नया आयाम दे सकती है। संस्कृति यूनिवर्सिटी में खुला सेण्टर आफ एक्सीलेंस युवा पीढ़ी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। भारत कृषि प्रधान देश है। इस बात को ध्यान में रखते हुए संस्कृति यूनिवर्सिटी ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) से अनुबंध किया है। छोटे उद्योग हमारे देश में करोड़ों देशवासियों की रोजी-रोटी का साधन होने के साथ ही अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कढ़ाई-बुनाई से लेकर दवाई तक, खेत-खलिहान से लेकर खेल के मैदान तक, वस्त्र से लेकर शस्त्र तक, ऊन से लेकर ऊर्जा तक, ऐसे अनेक क्षेत्रों में लघु उद्योग अपना अहम योगदान दे रहे हैं, जिन्हें युवा पीढ़ी आत्मसात कर सकती है। कृषि युवा पीढ़ी को रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा सेक्टर है। खेती अगर भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है तो एमएसएमई उसके मज़बूत कदम हैं, जो देश की प्रगति को गति देने का काम करते हैं। सेण्टर आफ एक्सीलेंस से युवा पीढ़ी स्मार्ट इंजीनियर बनने के साथ-साथ स्वरोजगार स्थापित कर सकती है।

श्री अरबिन्दो सोसाइटी

संस्कृति यूनिवर्सिटी और श्री अरबिन्दो सोसाइटी फॉर इण्डियन कल्चर (सैफिक) पांडिचेरी के साथ अनुबंध होना ब्रज मण्डल के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। इससे यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ वैदिक साइंस खुलने की राह साफ हो गई है। फाउण्डेशन भारतीय संस्कृति और संस्कृत के क्षेत्रों में शिक्षा और अनुसंधान में विनिमय और सहयोग करेगा। दोनों संस्थान मिलकर डिग्री-डिप्लोमा सहित विभिन्न पाठ्यक्रम तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित कर भारतीय संस्कृति और संस्कारों पर आधारित वैज्ञानिक शिक्षण को आगे बढ़ाएंगे। देखा जाए तो भारतीय संस्कृति की विश्व में अलग पहचान है। समृद्ध भारतीय परम्परा, संस्कृति एवं संस्कारों को आगे बढ़ाने की दिशा में यह अनुबंध मील का पत्थर साबित हो सकता है। श्री अरबिन्दो सोसाइटी और संस्कृति यूनिवर्सिटी के साझा प्रयासों से जहां युवा पीढ़ी को अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों में जॉब मिलने में आसानी होगी वहीं भारतीय संस्कृति की जड़ें भी मजबूत होंगी। वैदिक साइंस पाठ्यक्रम भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोने एवं आगामी पीढ़ियों के लिए अनूठी सौगात होगा।

नयति मेडिसिटी से करार

शिक्षा के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी संस्कृति यूनिवर्सिटी ने अपने ठोस कदम बढ़ाए हैं। नयति मेडिसिटी उन्नत और विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए क्लीनिकल तथा टेक्नोलॉजी संबंधी बेहतरीन सुविधाओं के लिए जानी जाती है। संस्कृति यूनिवर्सिटी और नयति के बीच अनुबंध से अब उत्तर भारत की आम जनता को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी। देखा जाए तो भारत में उत्तर भारत सर्वाधिक आबादी वाला क्षेत्र है लेकिन देश में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से यह सबसे पिछड़ा है। देश के इस हिस्से में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की काफी आवश्यकता है। इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए नयति और संस्कृति यूनिवर्सिटी ने हाथ मिलाए हैं।

मिलेगा एनबीपीजीआर के विश्वस्तरीय वैज्ञानिकों का ज्ञान

कृषि एवं बायोटेक्नोलाजी के छात्र-छात्राओं के सपनों को नया आयाम देने के लिए संस्कृति यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो से अनुबंध किया है। संस्कृति यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के बीच एमओयू साइन होने से कृषि एवं बायोटेक्नोलाजी में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को ट्रेनिंग और अनुसंधान कार्य में मदद मिलेगी। इस अनुबंध से अब एनबीपीजीआर के विश्वस्तरीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के व्याख्यानों से संस्कृति यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं लाभान्वित हो सकेंगे। इस अनुबंध के बाद अब संस्कृति यूनिवर्सिटी के कृषि एवं बायोटेक्नोलाजी के स्नातक और परास्नातक छात्र-छात्राएं राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो जाकर वहां प्रशिक्षण और अनुसंधान कर सकेंगे।

शांतिगिरि आश्रम से अनुबंध

भारतीय चिकित्सा प्रणाली को प्रतिष्ठापित करने के साथ ही ब्रजवासियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा तथा सिद्धा प्रणाली के जरिये निरोगी रखने के लिए संस्कृति यूनिवर्सिटी ने शांतिगिरि आश्रम से अनुबंध किया है। इस अनुबंध से ब्रज क्षेत्र में आयुर्वेदिक चिकित्सा को नया आयाम मिलेगा। शांतिगिरि आश्रम की जहां तक बात है, यह अपनी सेवाभावना के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां निर्मित आयुर्वेदिक दवाएं देश-दुनिया में अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। शांतिगिरि आश्रम लगभग 54 साल से देश-विदेश में लोगों को योग, ध्यान, आध्यात्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता आ रहा है। शांतिगिरि आश्रम संस्कृति यूनिवर्सिटी के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार-प्रसार में सहयोगी है। यह अपने अनुभवी चिकित्सकों की सेवाएं देने के साथ ही आयुर्वेदिक औषधियां भी मुहैया कराएगा तथा छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण देने के साथ ही उद्यमिता की तरफ प्रेरित करेगा।

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