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संस्कृति विश्वविद्यालय में विश्व खाघ दिवस पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते उप कुलपति डा. अभय कुमार व मौजूद विद्यार्थी।
संस्कृति विश्वविद्यालय में मनाया विश्व खाघ दिवस
-युवाओं को अन्न की बर्बादी रोकने का संकल्प दिलाया
-गुणवत्ता पूर्ण अन्न उत्पादन के क्षेत्र में काम करें कृषि स्नातकोत्तर
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में विश्व खाघ दिवस मनाते हुए अन्न की बर्बादी रोकने पर जोर दिया। साथ ही गुणवत्ता पूर्ण अन्न उत्पादन की दिशा में काम करने की सलाह कृषि स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्रों को दी गई।
इस अवसर पर कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के अधीन आज ही के दिन 16 अक्टूबर को खाघ एवं कृषि संगठन की स्थापना की गई थी। इसी लिए इस दिन को विश्व खाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने बलदती जीवन शैली और खान-पान के तौर तरीकां पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुराने लोग थाली में आए अन्न को कतई बर्बाद नहीं करते थे लेकिन यह चलन वर्तमान में बहुत तेज हुआ है। इसे रोकना होगा।
ओएसडी मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम यह भूल जाते हैं कि आज भी हजारों लोग भोजन की कमी के चलते भूखे सो जाते हैं। युवाओं को इस दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने भूखे लोगों को भोजन कराने वाले कुछ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपील की कि अन्न की बर्बादी रोकने का हम सभी को संकल्प लेना चाहिए।
कुपलति डा. राणा सिंह ने कहा कि लोग अब स्वास्थ्य के प्रति बेहद जागरूक हुए हैं। अब लोगां को खाना चाहिए लेकिन उसका हैल्दी होना भी जरूरी होता जा रहा है। ऐसे में कृषि स्नातक और परास्नातक की शिक्षा पा रहे युवाओं का दायित्व बनता है कि वह अभी से इस दिशा में सोचना शुरू करें।
उप कुलपति डा. अभय कुमार ने कहा कि वैज्ञानिक विभिन्न पोषक तत्वों की प्रचुरता वाले चावल आदि की किस्में तैयार कर रहे हैं। हमारे कृषि स्नातक बेहद गुणवत्ता युक्त बाजरा जैसी फसलों के उत्पाद बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं।
उन्होंने जैविक खेती आदि की दिशा में सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि किसान जानकारी के अभाव में असंतुलित उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं इससे चारे व अन्न में भी इनका असंतुलन बना हुआ है। यह मानव, पशु एवं पक्षियों सभी के लिए नुकसान दायक बना हुआ है। जैविक तत्वों के डालने से इसके दुष्प्रभाव रुकने की संभावना है।