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संस्कृति यूनिवर्सिटी और शांतिगिरि आश्रम के बीच ऐतिहासिक करार
अब ब्रजवासियों को मिलेगा उच्चस्तरीय आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ

मथुरा। भारतीय चिकित्सा पद्धति को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में अग्रसर संस्कृति यूनिवर्सिटी के लिए 16 जुलाई का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ। सोमवार को वैश्विक शांति, आध्यात्मिकता और विश्व बंधुत्व की दिशा में पूरी दुनिया के सामने नजीर बने शांतिगिरि आश्रम और संस्कृति यूनिवर्सिटी के बीच आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में ऐसे अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिसका लाभ समूचे ब्रजवासियों के साथ ही छात्र-छात्राओं को भी मिलेगा।

सोमवार, 16 जुलाई को संस्कृति यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति सचिन गुप्ता, शांतिगिरि आश्रम के स्वामी गुरुरेथनम ज्ञान तपस्वी, स्वामी पद्म प्रकाश, पी.के.डी. नाम्बियार तथा ओ.एस.डी. मीनाक्षी शर्मा की मौजूदगी में न केवल अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए बल्कि सभी ने एक स्वर से ब्रजवासियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा तथा सिद्धा प्रणाली के जरिये निरोग रखने का संकल्प लिया। संस्कृति यूनिवर्सिटी और शांतिगिरि आश्रम के बीच हुए अनुबंध से ब्रज क्षेत्र में आयुर्वेदिक चिकित्सा को जहां नया आयाम मिलेगा वहीं इससे ब्रजवासियों के साथ ही छात्र-छात्राएं भी लाभान्वित होंगे।

शांतिगिरि आश्रम की जहां तक बात है, यह अपनी सेवाभावना के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां निर्मित आयुर्वेदिक दवाएं देश-दुनिया में अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। शांतिगिरि आश्रम के स्वामी गुरुरेथनम ज्ञान तपस्वी ने आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में संस्कृति यूनिवर्सिटी के प्रयासों की मुक्तकंठ से सराहना की और कहा कि मथुरा धार्मिक नगरी होने के चलते यहां आयुर्वेदिक चिकित्सा का विशेष महत्व है। शांतिगिरि आश्रम लगभग 54 साल से देश-विदेश में लोगों को योग, ध्यान, आध्यात्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता आ रहा है। स्वामी ज्ञान तपस्वी ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा से बीमारी पूर्ण रूप से समाप्त हो जाती है और इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। हम कह सकते हैं कि स्वापस्य् औ के लिए आयुर्वेद चिकित्सा से बेहतर कुछ भी नहीं है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में हर बीमारी का इलाज है। कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनका आयुर्वेद में ही स्थायी इलाज सम्भव है। अधिकांश आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और हर्बल शिशुओं की आम बीमारियों के मामलों में भी सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किये जा सकते हैं। अब शांतिगिरि आश्रम संस्कृति यूनिवर्सिटी से जुड़कर आयुर्वेदिक चिकित्सा के माध्यम से ब्रजवासियों की सेवा करने को प्रतिबद्ध है। स्वामी गुरुरेथनम ज्ञान तपस्वी का कहना है कि अब हम संस्कृति यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर सेवाभावना की एक मिसाल कायम करना चाहते हैं।

शांतिगिरि आश्रम संस्कृति यूनिवर्सिटी के साथ न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार-प्रसार में सहयोग करेगा बल्कि छात्र-छात्राओं के अभिज्ञान में भी इजाफा करेगा। स्वामी गुरुरेथनम ज्ञान तपस्वी ने कहा कि आयुर्वेद से हम पुरानी से पुरानी बीमारी को जड़ से समाप्त कर सकते हैं। आयुर्वेद का उपचार हर रोग में कारगर है। स्वामी गुरुरेथनम ज्ञान तपस्वी का कहना है कि शांतिगिरि आश्रम संस्कृति यूनिवर्सिटी को अपने अनुभवी चिकित्सकों की सेवाएं देने के साथ ही आयुर्वेदिक औषधियां भी मुहैया कराएगा तथा छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण देने के साथ ही उद्यमिता की तरफ प्रेरित करेगा।

कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने शांतिगिरि आश्रम और संस्कृति यूनिवर्सिटी के बीच हुए अनुबंध को आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर निरूपित करते हुए कहा कि इससे न केवल ब्रजवासियों को स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी बल्कि छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के साथ ही चिकित्सा विशेषज्ञों के सान्निध्य का लाभ भी मिलेगा। श्री गुप्ता का कहना है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा में पढ़ाई की कम और आंतरिक महारत की ज्यादा जरूरत होती है। कोई भी छात्र साधना के बिना सिद्ध वैद्य नहीं बन सकता। हमारा प्रयास है कि संस्कृति यूनिवर्सिटी में आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में जो भी छात्र-छात्राएं तालीम के लिए आएं वे अपनी अंतर दृढ़ता और सेवाभावना से ब्रज ही नहीं पूरे देश में सिद्ध वैद्य के रूप में पहचान बनाएं।

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