Toll Free - 1800 120 2880

Events

संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सचिन गुप्ता बने विजन यूएन-एसडीजी एम्बेसडर
विशिष्ट बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की करूंगा कोशिश

मथुरा। यूनेस्को, भारतीय पुनर्वास परिषद, विजन इंस्टीट्यूट और विजन दिव्यांग संगठनों द्वारा समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सचिन गुप्ता को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेण्टर में 24 जनवरी को विजन यूएन-एसडीजी एम्बेसडर से नवाजा गया।

सतत विकास लक्ष्य-2030 को दृष्टिगत यूनेस्को, भारतीय पुनर्वास परिषद, विजन इंस्टीट्यूट और विजन दिव्यांग संगठनों के संयुक्त प्रयासों से दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेण्टर में 24 और 25 जनवरी को हुई नेशनल कान्फ्रेंस में समावेशी शिक्षा पर न केवल विचार मंथन हुआ बल्कि इस लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाए उस पर भी विस्तार से चर्चा हुई। समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही शख्सियतों का मूल्यांकन करने के बाद नेशनल कान्फ्रेंस के आयोजक संगठनों और पदाधिकारियों डायरेक्टर जनरल प्रो. सी.एल. कुण्डू, आयोजन सचिव कुसुम आंचल गुप्ता, चेयरमैन मुकेश गुप्ता आदि ने संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सचिन गुप्ता को विजन यूएन-एसडीजी एम्बेसडर का दायित्व सौंपते हुए सम्मानित किया।

सम्मान के बाद श्री सचिन गुप्ता ने यूनेस्को, भारतीय पुनर्वास परिषद, विजन इंस्टीट्यूट और विजन दिव्यांग संगठनों का आभार मानते हुए कहा कि शिक्षा के समावेशीकरण का जो दायित्व मुझे सौंपा गया है, मेरी कोशिश होगी कि हम इस लक्ष्य को 2030 से पहले ही हासिल कर लें। श्री गुप्ता ने कहा कि समावेशी शिक्षा का मतलब विकलांग बच्चे नहीं बल्कि इसका अर्थ किसी भी बच्चे का बहिष्कार न हो। आज के समय में हर शिक्षक को इस सिद्धांत को विस्तृत दृष्टिकोण में अपनी कक्षा और व्यवहार में लाना चाहिए। दिव्यांग बच्चों को भी सामान्य बच्चों की ही तरह शैक्षिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार है। श्री गुप्ता ने कहा कि विशिष्ट बच्चों की पहचान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ना ही मेरा प्रमुख उद्देश्य है क्योंकि बच्चों में आत्मनिर्भरता का बोध होते ही कई समस्याएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी।

श्री गुप्ता ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य-2030 हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। हर लक्ष्य सभी के साक्षर होने से ही हासिल किया जा सकता है। समावेशी शिक्षा में यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे तथा अशक्त और मानसिक रूप से अपंग बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिए शैक्षिक संस्थाओं में विशेष व्यवस्था के साथ ही ऐसे अध्यापकों की नियुक्ति की जाए जो विशिष्ट बच्चों को पढ़ाने की योग्यता रखते हों।

Contact Us
Apply Now